सम्मान योग्य सात मन्दिर

इस संसार में केवल सात मन्दिर सम्मान योग्य हैं। इसमें से एक मन्दिर परमात्मा के द्वारा बनाया गया है। बाकी के छः मन्दिर मानव ने बनाए हैं। पुजारी भ्रष्ट हो सकता है लेकिन मन्दिर नहीं इसलिए मन्दिर का हर कीमत पर सम्मान किया जाना चाहिए। सात मन्दिर यह हैं

मानव शरीर

परमात्मा के द्वारा बनाया गया मन्दिर। मानव शरीर में परमात्मा स्वयं विराजमान है। इस कारण श्री परमधाम पिछले लगभग 19 वर्षों से अन्तःपूजा की बात करता है क्योंकि अन्तःपूजा के अलावा संसार में कोई दूसरा रास्ता नहीं है। जो बाकी के छः मन्दिरों की सुरक्षा और व्यवस्था को सही रुप दे सके।

विद्यालय

मानव के द्वारा बनाया गया मन्दिर। यहाँ पर आकर लोग ज्ञान प्राप्त करते हैं। पढ़ाने वाला अध्यापक (पुजारी) भ्रष्ट हो सकता है उसे बदला जा सकता है लेकिन मन्दिर नहीं बदला जा सकता। मन्दिर तो पूजनीय है।

चिकित्सालय

मानव के द्वारा बनाया गया मन्दिर। यहाँ पर परमात्मा के द्वारा बनाये गये मन्दिर (मानव शरीर) में हुए रोगों का इलाज किया जाता है। मानव शरीर के रोगों का इलाज करने वाला डाॅक्टर (पुजारी) भ्रष्ट हो सकता है लेकिन मन्दिर नहीं। यह मन्दिर मानव की देखभाल के लिए है।

न्यायालय

मानव के द्वारा बनाया गया मन्दिर। यह मन्दिर मानव के द्वारा मानव के अधिकारों के रक्षा के लिए मानव ने ही बनाया है। इस मन्दिर में न्याय करने वाला न्यायाधीश (पुजारी) भ्रष्ट हो सकता है लेकिन मन्दिर नहीं।

शिवालय

मानव के द्वारा बनाया गया मन्दिर। ये मन्दिर मानव ने ही बनाए हैं चाहे वह श्रीराम, श्रीकृष्ण के मन्दिर के रुप में या गुरुद्वारों, गिरजाघर या मस्जिद के रुप में हो। इसमें सेवा करने वाले (पुजारी) भ्रष्ट हो सकते हैं लेकिन मन्दिर नहीं।

विधानसभा

मानव के द्वारा बनाया गया मन्दिर। यह मन्दिर समाज और शहरों की व्यवस्था के लिए है। इस मन्दिर के विधायक (पुजारी) भ्रष्ट हो सकते हैं लेकिन मन्दिर नहीं।

संसद

मानव के द्वारा बनाया गया मन्दिर। यह मन्दिर मानव के द्वारा पूरे देश की व्यवस्था को चलाने के लिए बनाया गया है। इसको चलाने वाले एम.पी. या मन्त्री (पुजारी) भ्रष्ट हो सकते हैं लेकिन मन्दिर नहीं।

© Copyright 2020 Shri Paramdham.